रात्रि जागरण गीत
रात्रि जागरण गीत मे बड़ के पेड़ के भी गीत गाए जाते है | बड़ के पेड़ को बहुत सिद्ध माना जाता है | उसकी पूजा की जाती है, बड़ के पेड़ को आप बरगद के पेड़ के नाम से भी जानते होंगे | इसलिए इन गीतों मे बड़ की जगह सिद्ध बड़ शब्द का प्रयोग किया जाता है | बड़ के पेड़ की जड़े भी बहुत लंबी ओर मजबूत होती है | बड़ का पेड़ ओषधियों मे भी काम आता है, और यह राहगीरों को छाव भी देता है, ठंडी हवा भी | बड़ के पेड़ के 2 गीत हमने लिखे है जगरतों मे इन गीतों को भी गाया जाता है |
सिद्ध बड़ का प्रथम गीत
सिद्ध बड़ शीश री पागा सवा लाख की, सिद्ध बड़ पेंचा रो अदक सरूप,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ काना रा मोती सवा लाख का, सिद्ध बड़ चुन्नी रो अदक सरूप,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ गला री कंठी सवा लाख की, सिद्ध बड़ डोरा रो अदक सरूप,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ अंग रा जामा सवा लाख की, सिद्ध बड़ केसर रो अदक सरूप,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ हाथा रा कड़ा सवा लाख की, सिद्ध बड़ पोंची रो अदक सरूप,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ पाँवा रा मोजा सवा लाख की, सिद्ध बड़ मेंदी रो अदक सरूप,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ बैठवा री तेजी सवा लाख की, सिद्ध बड़ चाबुक रो अदक सरूप,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ कंई तो आवे बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ तो आवे बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ ऊबट आवे बांजा बांजोली, सिद्ध बाटे तो आवे बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ कां तो उतारा बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ कां तो उतारा बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ तड़के उतारा बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ छाया उतारा बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
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सिद्ध बड़ कंई जिमावा बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ कंई जिमावा बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ चोखा जिमावा बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ लापसी जिमावा बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया ||
सिद्ध बड़ कंई मांगे बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ कंई मांगे हो बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ पुत्र मांगे हो बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ अन्न धन मांगे बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया ||
सिद्ध बड़ छत्र चड़ावे बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ नारेल चड़ावे बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया |
सिद्ध बड़ पुत्र दांगा हो बांजा बांजोली, सिद्ध बड़ अन्न धन दांगा बालुडा री माय,
हो म्हारा गेरा सिद्ध बड़ क्षिप्रा किनारे सिद्ध बड़ झुकी रया ||
रात्रि जागरण गीत मे बरगद के पेड़ का दूसरा गीत
हनुमानजी रोपो लाया, हनुमान जी रोपो लाया |
राम लक्ष्मण सिद्ध बड़ चोपयो ये माय,
घी गोल पाल बंधावा देवी, घी गोल पाल बंधावा म्हारी माय ||
दही दूध से सिद्ध बड़ सिंचियों ये माय |
पेली कुंपल छोड़ देवी, पेली कुंपल छोड़ म्हारी माय ||
नखल्या सरिका बड़रा पान म्हारी माय |
दूसरी कुंपल छोड़ देवी, दूसरी कुंपल छोड़ म्हारी माय ||
सिंदूर वरण्या बड़रा पान म्हारी माय |
तीसरी कुंपल छोड़ देवी, तीसरी कुंपल छोड़ म्हारी माय ||
बाटकी सरीका बड़रा पान मारी माय |
चौथी कुंपल छोड़ देवी, चौथी कुंपल छोड़ म्हारी माय ||
थाली सरीका बड़रा पान म्हारी माय |
पाँचवी कुंपल छोड़ देवी, पाँचवी कुंपल छोड़ म्हारी माय ||
सुपड़ा सरीका बड़रा पान म्हारी माय |
छट्टी कुंपल छोड़ देवी, छट्टी कुंपल छोड़ म्हारी माय ||
सातवी कुंपल छोड़ देवी, सातवी कुंपल छोड़ म्हारी माय |
पाना फूला से बडलों छई गयो हो माय ||
आई आई राणाजी री फोज देवी, आई आई राणाजी री फोज |
आई ने उतरी सीला बड़तले हो माय ||
सुता करयो विचार देवी, सुता करयो विचार म्हारी माय |
अणी हो बड़ला ने परो कटावो म्हारी माय ||
बंसी बजड़ किमाड देवी, बंसी बजड़ किमाड़ म्हारी माय |
ओर ने बंसी बालुडा को पालणो ए माय ||
पेलो झटकों मारयो देवी, पेलो झटकों मारयो म्हारी माय |
दही दूधा की नदिया बही गई ये माय ||
दूसरो झटकों मारयो देवी, दूसरो झटकों मारयो म्हारी माय |
लोई रगदा री नदिया बही गई ये माय ||
तीसरो झटकों मारयो देवी, तीसरो झटकों मारयो म्हारी माय |
खातीड़ा रो बेटो लंगड़ों वई गयो ये माय ||
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चौथो झटकों मारयो देवी, चौथो झटकों मारयो म्हारी माय |
खातीड़ा रो बेटो लूलो वई गयो ये माय ||
पाँचवो झटकों मारयो देवी, पाँचवो झटकों मारयो म्हारी माय |
खातीड़ा रो बेटो आंधो वई गयो ये माय ||
तेड़ो तेड़ो खातीड़ा री माय देवी, तेड़ो तेड़ो खातीड़ा री माय |
थारो बेटो तो लंगड़ों वई गयो ए माय ||
दोवड दीवलो जोंवा देवी, दोवड दीवलो जोंवा म्हारी माय |
म्हारा बेटा ने चलतो करी दीजों ये माय ||
तेड़ो तेड़ो खातीड़ा री नार देवी, तेड़ो तेड़ो खातीड़ा री नार |
थारो पति तो आंधो वई गयो ए माय ||
दोवड रात जगावा ए देवी, दोवड रात जगावा म्हारी माय |
म्हारा पति की आँख्या खोली दीजों ये माय ||
तेड़ो तेड़ो खातीड़ा री बेन देवी, तेड़ो तेड़ो खातीड़ा री बेन |
थारो बीरो तो लंगड़ों वई गयो ए माय ||
नगर नारेल बटावा देवी, नगर नारेल बटावा म्हारी माय |
म्हारा बीरा ने चलतो करी दीजों ये माय ||
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इसी तरह हमारी आने वाली पोस्ट या आगे लिखे जाने वाले गीत, कथा आप पड़ेंगे और फिर पड़कर उसे गाना पसंद करेंगे | अगर आप रात्रि जागरण के और गीतो के बारे मे जानना चाहते है तो इस वेबसाइट पर जाकर पड़ सकते है |