रात्रि जागरण गीत
रात्रि जागरण गीत के इस समूह मे यह गीत कुछ ऐसा है की घर की बहु से सवाल किया जाता है | वह भी इसका जवाब गीत के द्वारा देती है | यह बस एक गीत है जिसमे सवाल जवाब है | जगरातो के यह गीत अलग अलग है यह गीत मालवी भाषा मे लिखे गए है | इन गीतों को जगरातो मे अक्सर गाया जाता है | रात्रि जागरण के यह गीत हो सकता है आपके यह कभी नहीं गाए गए होंगे | क्योंकि जहा तक हमे पता है अलग अलग समाज मे गीत भी अलग अलग होते होंगे | पर मालवा मे अधिकतर यही गीत गाए जाते है |
हमारे पास और भी बहुत सारे गीत है जों हम वक्त वक्त पर आपके लिए पोस्ट करते रहेंगे | यह गीत आपको किसी भी सोशल साइट पर नहीं मिलेंगे | यह शुद्ध मालवी मे लिखे गए गीत है | जों जगरतों मे गाए जाते है | गीत बहुत से प्रकार मे गाए जाते है यह जगराते के गीत है | वैसे हि बन्ना बन्नी के गीत होते है | मायरे के गीत होते है | हल्दी के गीत , गणेश स्थापना के गीत | अगर आप हमारी पोस्ट रोज पड़ते है तो आपको यह सभी गीत मिल जाएंगे | गीत और भी अलग अलग भाषाओ मे गाए जाते है पर मुझे यही आती है |
यहा आपको शुरू से आखिरी तक जीतने भी गीत मिलेंगे सभी मालवी भाषा मे हि मिलेगी | आज का यह गीत लाड़ी बऊ का गीत है | बहु तो आप सभी समझते हि होंगे की किसे कहते है | जिससे आपके घर के बेटे की शादी हुइ हो | हमने जों ये शब्द लिखा है बऊ उसे हिन्दी भी बहु बोलते है | कुछ जगहों पर कुल वधू तो कहि पर लाड़ी कहते है | जहा तक मे जानती हु गाव मे आज भी बेटे की पत्नी की लाड़ी हि कहा जाता है |
रात्रि जागरण गीत मे लाड़ी बऊ का गीत
हूं तमने पूंछू म्हारा बड़ा हो लाड़ी बऊ, बड़ा हो लाड़ी बऊ
देवता रा आवणा कैसी बद होय |
लिलड़ी सी घोड़ी पातलियों असवार,
देवता रा आवणा पवन साथे होय ||
हूं तमने पूंछू म्हारा बड़ा हो लाड़ी बऊ, बड़ा हो लाड़ी बऊ
देवता रा न्हावणा कैसी बद होय |
तांबा रा तपेला मे जमना रो पाणी,
जमना रो पाणी, देवता रा न्हावणा मेहला माय होय ||
हूं तमने पूंछू म्हारा बड़ा हो लाड़ी बऊ, बड़ा हो लाड़ी बऊ
देवता रा बैठना कैसी बद होय |
लाल धोलों कपड़ों ने फूला रा बिछावणा,
फूला रा बिछावणा, देवता रा बैठना मेहला माय होय ||
हूं तमने पूंछू म्हारा बड़ा हो लाड़ी बऊ, बड़ा हो लाड़ी बऊ
देवता रा जीमणा कैसी बद होय |
लचपच लापसी ने नखछोल्या चावल,
नखछोल्या चावल, देवता रा जीमणा मेहला माय होय ||
हूं तमने पूंछू म्हारा बड़ा हो लाड़ी बऊ, बड़ा हो लाड़ी बऊ
देवता रा पीवणा कैसी बद होय |
सोना री झारी गंगाजल पाणी,
गंगाजल पाणी, देवता रा पीवणा मेहला माय होय ||
हूं तमने पूंछू म्हारा बड़ा हो लाड़ी बऊ, बड़ा हो लाड़ी बऊ
देवता रा पूजणा कैसी बद होय |
कंकु पिंगाणी ने गेरो परिवार,
गेरो परिवार, देवता रा पूजणा नारेला से होय ||
लाड़ी बऊ के गीत का हिन्दी अनुवाद
इस गीत का अनुवाद कुछ इस तरह है, बड़ी बहु मे तुमसे पूछ रही हु की देवता का आना कैसा होता है |
सुंदर सी घोड़ी और पतले से कपड़े, देवता पवन की तरह उनके साथ आ रहे है ||
बड़ी बहु मे तुमसे पूछ रही हु की देवता का नहाना कैसा होता है |
तांबे के तपेले मे जमुना मैया का पानी है, उसी पानी से देवता महल मे नहायेंगे ||
बड़ी बहु मे तुमसे पूछ रही हु की की देवता का बैठना कैसा होता है |
लाल और सफेद रंग का कपड़ा उस पर फूल बिछा रखे है, उसी बिछोने पर देवता महल मे बैठेगे ||
बड़ी बहु मे तुमसे पूछ रही हु की की देवता का खाना कैसा होता है |
गुड का दलिया और साफ चावल, देवता वही खाना महल मे खाएंगे ||
बड़ी बहु मे तुमसे पूछ रही हु की की देवता का पानी कैसा होता है |
सोने का ग्लास उसमे गंगाजल का पानी है, वही पानी देवता महल मे पियेंगे ||
बड़ी बहु मे तुमसे पूछ रही हु की की देवता की पूजा कैसी होती है |
कुम कुम की पिंघानी उसमे सिंदूर, चावल, अबीर, रोली, गुलाल सब है, देवता की पूजा नारियल से होती है ||
निष्कर्ष
इस गीत का निष्कर्ष यह है की घर की बड़ी बहु अपने देवता को बुला रही है तो देवता का आना कैसा होता है | वो कैसे आते है कहा बैठते है क्या कहते है क्या पीते है | यही सब कुछ गीत द्वारा बताया गया है | उम्मीद है आपको हमारा यह गीत पसंद आएगा | हमारे सभी गीत मालवी भाषा मे लिखे गए है इसलिए इसका हिन्दी अनुवाद हमने आपको बताया है |
इसी तरह हमारी आने वाली पोस्ट या आगे लिखे जाने वाले गीत, कथा आप पड़ेंगे और फिर पड़कर उसे गाना पसंद करेंगे | अगर आप रात्रि जागरण के और गीत सुनना चाहते है तो इस वेबसाइट पर जाकर सुन सकते है |
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