रात्रि जागरण गीत
आज इस पोस्ट मे रात्रि जागरण गीत के उस गीत के बारे मे बताएंगे जो जुजार जी पर गाया गया है | हमारे गीतों की श्रंखला बहुत बड़ी है | अभी तो सिर्फ हम रात्रि जागरण के गीत के बारे मे आपको बता रहे है | जैसे जैसे हमे समय मिलेगा हम आपके लिए दूसरे गीत भी लेकर आएंगे | जुजार महाराज के बारे मे हो सकता है आप ना जानते हो | जुजार महाराज हमारे देवता है | इसलिए शायद आप ना जानते हो | हो भी सकता है की यह अपक भी देवता हो |
हमारे जुजार महाराज राजस्थान मे है | राजस्थान मे बहुत सारे छोटे छोटे गांव है | और हमारी समाज के अलग अलग कुल के जुजार जी भी अलग है | जुजार महाराज कुल देवी देवता मे आते है | वैसे इनकी पूजा वहा रहने वाले स्थायी लोग भी करते है | हमारी मान्यता मे जुजार महाराज को स्त्रिया स्पर्श नहीं करती है | वैसे हिन्दू धर्म मे एसे कई भगवान है जिन्हे नारी स्पर्श नहीं करती है | कारण सभी अलग अलग बताते है तो इसका उल्लेख नहीं किया जा सकता है |
रात्रि जागरण गीत मे जुजारजी जी के गीत का महत्व
जुजार महाराज की कथा मुझे नहीं पता है | यह शायद हमारे पूर्बज को पता हो | इनके किस्से कहानी आज तक हमने नहीं सुने है | हमने खोज भी की पर कोई जवाब ठीक तरह से मिला नहीं | जूजार जी का गीत रात्रि जागरण गीतों मे इसलिए गाया जाता है | क्योंकि वह हमारे कुल देवता है वो हमारे घर आए है | तो उनकी सेवा भी हमे करनी होगी | हम गीत गाकर उन्हे बुलाते है उन्हे खुश करते है |
इस गीत को पड़कर आप समझ जाएंगे की यह गीत हम आखिर क्यों गा रहे है | वैसे जागराता हम रखते हि इसलिए की हम अपनी इष्ट, अपने भगवान को खुश करे |वो अपना आशीर्वाद हम पर बनाए रखे | भगवान का आशीर्वाद अगर हमारे सिर पर होगा तो हमे कभी किसी कष्ट का सामना नहीं करना पड़ेगा |
रात्रि जागरण गीत मे जुजार जी का गीत
सोना को तो चटियों जुजार जी , रूपा केरी दड़िया जी |
रमता तो खेलता जुजार जी घरे हो, रामजी (यहा पर घर के सदस्य का नाम) के आया जी ||
सोना को तो चटियों जुजार जी , रूपा केरी दड़िया जी |
रमता तो खेलता जुजार जी घरे हो, लक्ष्मणजी (यहा पर घर के सदस्य का नाम) के आया जी ||
सोना को तो चटियों जुजार जी , रूपा केरी दड़िया जी |
रमता तो खेलता जुजार जी घरे हो, भरतजी (यहा पर घर के सदस्य का नाम) के आया जी ||
रामजी की राण्या जुजारजी कंकूड़े बदायाजी,
लक्ष्मणजी की राण्या जुजारजी मोतीडे बदायाजी,
भरतजी की राण्या जुजारजी नारेला बदायाजी,
नाना – मोटा की राण्या जुजारजी हार – फूल से बदायाजी |
कंकूड़े बदाया जुजारजी दूधडले संपडाया जी,
दूधडले संपडाया जुजारजी लापसडी जिमाया जी,
लापसडी जिमाया जुजारजी पालणीये पोडाया जी,
पालणीये पोडाया जुजारजी हालरीए हुलराया जी,
हालरीए हुलराया जुजारजी गेरो हालरों गायों जी ||
जुजारजी के गीत का अर्थ
सोने जैसा चटकदार रूप है आपका और रूप क्यों निखारना जुजार जी,
राम जी के घर आए हो तो उनके घर खेलों जुजार जी|
सोने जैसा चटकदार रूप है आपका और रूप क्यों निखारना जुजार जी,
लक्ष्मण जी के घर आए हो तो उनके घर खेलों जुजार जी|
सोने जैसा चटकदार रूप है आपका और रूप क्यों निखारना जुजार जी,
भरत जी के घर आए हो तो उनके घर खेलों जुजार जी|
राम जी की रानी ने आपको कंकु का तिलक लगाकर बदाया है,
लक्ष्मण जी की रानी ने आपको मोतियों के हार पहनाकर बदाया है,
भरत जी की रानी ने आपको नारियल से बदाया है,
छोटे बड़े सबकी रानी ने आपको हार फूल से बदाया है |
कुम कुम से बदाया है आपको जुजार जी डेढ़ से नहलाया है,
दुध से नहलाया है आपको जुजार जी खाने मे लापसी बनाकर जिमाया है,
लापसी से जिमाया है आपको जुजार जी पालने मे सुलाया है,
पालने मे सुलाया है आपको जुजार जी लोरीया भी सुनाई है,
लोरीया सुनाई है आपको जुजार जी गहरी नींद आई है |
निष्कर्ष
जुजार जी का यह गीत एक ऐसा गीत मे जिसमे हम उन्हे क्या खिलाते है, क्या पहन रहे है सब गीत मे गाकर बता रहे है | जुजार जी का यह गीत अप कभी भी गा सकते है जरूरी नहीं है की यह गीत आप शुरू मे गाए बीच मे भी गा सकते है | यह गीत बहुत सरल है, आपको याद करने मे भी कोई परेशानी नहीं होगी | दो या तीन बार दोहराने के बाद हि याद आ जाएगा |
इस गीत का निष्कर्ष यही है की यह बहुत आसानी से गाने वाला एक सुंदर स गीत है | इस गीत को आप ढोल की ताल के साथ गाएंगे तो और अच्छा लगेगा | उम्मीद है आप इस गीत को जरूर गाएंगे |
इसी तरह हमारी आने वाली पोस्ट या आगे लिखे जाने वाले गीत, कथा आप पड़ेंगे और फिर पड़कर उसे गाना पसंद करेंगे | अगर आप रात्रि जागरण के और गीत सुनना चाहते है तो इस वेबसाइट पर जाकर सुन सकते है |
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