piplee ka geet 2

रात्रि जागरण गीत

रात्रि जागरण गीत

रात्रि जागरण गीत बहुत सारे होते है | सभी देवी देवता के लिए अलग अलग और एक हि गीत को ना जाने कीतने तरीकों से गाया जाता है | जीतने तरह की भाषा है उतने हि तरह के गीत और एक देवी या देवता के लिए भी बहुत से गीत मोजूद है | अगर देखा जाए तो एक गीत के अनुवाद भी भी है | जितनी भाषा उतने अनुवाद पर आपको पता हि होगा भारत मे सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा हिन्दी है |

यह भाषा बहुत आसान है और मालवी भाषा भी बहुत बोली जाती है | मालवी को मारवाड़ी भाषा भी बोलते है | हमारा आज का गीत भी पिपल के पेड़ का गीत है यह पीपल का दूसरा गीत है जों जगरातों मे गाया जाता है |

रात्रि जागरण गीत मे पीपल का गीत क्यों गाया जाता है 

रात्री जागरण गीत मे पीपल का गीत भी गाया जाता है | पिपल एक एसा पेड़ है जिसकी बहुत सारी अलग अलग मान्यता है | इस पेड़ को भगवान की तरह हि पूजा जाता है | पिपल के पेड़ मे सभी देवी देवता निवास करते है | यह बहुत पूजनीय है | रात्रि जागरण मे पीपल का गीत गाना कोई गलत बात नहीं है | पीपल के पेड़ पर देवी देवता क्या करते है गीतों मे हम यही गाते है |

मालवी मे जब इन गीतों को गाया जाता है तब यह और अच्छे लगते है | वेसे बहुत से शब्दों के तो मतलब भी हमे समझ नहीं आते है की आखिर ये बोल क्या रहे है फिर उन्हे ध्यान से सुन्ना पड़ता है | गीत गाने वाली मंडली से फिर से पूछना पड़ता है की क्या गा रहे हो | यही वजह है की हम यूट्यूब पर गीत गाकर सुनाने की जगह लिख रहे है ताकि इसके बोल आप अच्छे से समझ सके, और गा सके |

रात्रि जागरण गीत मे पिपली का गीत 

धरम दुवारे हो रुड़ी पिपली जी, जठे बाला पूर्बज करे रे किलोल |

मैं जास्यां  हो रुड़ी मालवे जी ||

धरम दुवारे हो रुड़ी पिपली जी, जठे जुजार बाबा करे रे किलोल |

मैं जास्यां  हो रुड़ी मालवे जी ||

धरम दुवारे हो रुड़ी पिपली जी, जठे भैरु बाबा करे रे किलोल |

मैं जास्यां  हो रुड़ी मालवे जी ||

जास्यां  – जास्यां  चारी भाई रा द्वार, बऊ लाडी री खूंके अवतारा जी |

वारे सुहागन पावे हो, काचा दूध पटसाले हो बांधे पालणो जी ||

हरती – फरती दे रे मचोला चार |

थे झूलों म्हारा बाला पूर्बज पालणे जी ||

हरती – फरती दे रे मचोला चार |

थे झूलों म्हारा जुजार बाबा पालणे जी ||

हरती – फरती दे रे मचोला चार |

थे झूलों म्हारा भैरु बाबा पालणे जी ||

धरम दुवारे हो रुड़ी पिपली जी, जठे माता बाई करे रे किलोल |

मैं जास्यां  हो रुड़ी मालवे जी ||

धरम दुवारे हो रुड़ी पिपली जी, जठे सती माता करे रे किलोल |

मैं जास्यां  हो रुड़ी मालवे जी ||

धरम दुवारे हो रुड़ी पिपली जी, जठे बाला भूल्या – चूक्या करे रे किलोल |

मैं जास्यां  हो रुड़ी मालवे जी ||

जास्यां  – जास्यां  नोइ भाई रा द्वार, बऊ लाडी री खूंके अवतारा जी |

वारे सुहागन पावे हो, काचा दूध पटसाले हो बांधे पालणो जी ||

हरती – फरती दे रे मचोला चार |

थे झूलों म्हारी माता बाई पालणे जी ||

हरती – फरती दे रे मचोला चार |

थे झूलों म्हारी सती माता पालणे जी ||

हरती – फरती दे रे मचोला चार |

थे झूलों म्हारा भूल्या – चूक्या पालणे जी ||

पिपली के गीत का अर्थ 

हमारे घर के दरवाजे के वहा एक बूढ़ा पिपल का पेड़ है, उसकी तरफ मे जा रही थी |

वहा छोटे पूर्बज , जुजार बाबा, भैरु महाराज हसी ठीठोली कर रहे है || 

चारों भाई जब दरवाजे की तरफ जा रहे है तो बहु उन्हे आवाज देकर बुला रही है |

वो सुहागन होने का आशीर्वाद मांग रही है, कच्चे दूध को पका रही है और साथ मे पालना बांध रही है ||

इधर – उधर घूमते हुए वह झूला दे रही है |

मेरे छोटे पूर्बज आप पालने मे झूला झूलों ||

इधर – उधर घूमते हुए वह झूला दे रही है |

मेरे जुजार महाराज आप पालने मे झूला झूलों ||

इधर – उधर घूमते हुए वह झूला दे रही है |

मेरे भैरु महाराज आप पालने मे झूला झूलों ||

हमारे घर के दरवाजे के वहा एक बूढ़ा पिपल का पेड़ है, उसकी तरफ मे जा रही थी |

वहा माता रानी, सती माता, भूले – चुके हसी ठीठोली कर रहे है || 

नों भाई जब दरवाजे की तरफ जा रहे है तो बहु उन्हे आवाज देकर बुला रही है |

वो सुहागन होने का आशीर्वाद मांग रही है, कच्चे दूध को पका रही है और साथ मे पालना बांध रही है ||

इधर – उधर घूमते हुए वह झूला दे रही है |

मेरी माता रानी आप पालने मे झूला झूलों ||

इधर – उधर घूमते हुए वह झूला दे रही है |

मेरी सती माता  आप पालने मे झूला झूलों ||

इधर – उधर घूमते हुए वह झूला दे रही है |

मेरे भूले – चुके आप पालने मे झूला झूलों ||

निष्कर्ष 

आज का यह गीत भी आपको पसंद जरूर आएगा | यह गीत जब मेने पहली बार सुना था तब इस गीत से मुझे बहुत आनन्द आया था | तब आज ऐसे हि बेठे बेठे मे इसे गुनगुनाने लगी | तो सोचा की इस गीत के बोल आपके साथ सांझा करू | आपको भी तो पता चले की रात्रि जागरण गीत भी गाए जा सकते है |

इसी तरह हमारी आने वाली पोस्ट या आगे लिखे जाने वाले गीत, कथा आप पड़ेंगे और फिर पड़कर उसे गाना पसंद करेंगे | अगर आप रात्रि जागरण के और गीत सुनना चाहते है तो इस वेबसाइट पर जाकर सुन सकते है |

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धन्यवाद

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