संजा के गीत
संजा के गीत सोलह श्राद्ध मे गाए जाते है | आपको पता होगा की दिवाली के पहले नवरात्रि आती है और उसके पहले 16 श्राद्ध | सोलह श्राद्ध को हम पितृ दिन के नाम से भी जानते है | पितृ दिन सोलह दिन के वो दिन होते है जब हम हमारे पितृ की पूजा करते है | उन्हे भोग लगाते है, यह वह दिन है जब् भगवान हमारे पितृ को हमारे घर मे भेजते है |
यह दिन भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक होता है | यह सोलह दिन का होता है, इन्ही सोलह दिन पर संजा माता का पूजन भी किया जाता है |
संजा माता की पूजा गांव मे हर घरों मे होती है | शहर मे भी संजा माता पूजी जाती है पर हर साल संजा माता शहर मे सभी घरों मे नहीं पूजते है | पर संजा माता उस साल जरूर पूजी जाती है | इस साल उस घर की लड़की का विवाह हुआ है |
एसी मान्यता है की संजा माता कुंवारी नहीं रहती है | जब हमारे घर मे हमारी बेटी का विवाह होता है | उसी साल संजा माता की स्थापना की जाती है | सोलह दिनों तक उनकी पूजा होती है | सोलह दिनों तक गीत गए जाते है संजा माता बनाइ जाती है |
संजा माता की पूजा कैसे की जाती है
हमारे यहा संजा माता की पूजा पूर्णिमा के दिन से शुरू होती है | यह पूजा हमारे घर की वही लड़की करती है जिसका विवाह हुआ हो | यह पूजा मायके मे की जाती है | पूर्णिमा के दिन सबसे पहले गाय के गोबर से पूनम का पाटला बनाया जाता है |
यह पाटला चूड़ी की डिजाइन का होता है | इसे बनाने के बाद इसे फूलों से सजाया जाता है | फिर संजा माता की पूजा की जाती है| पूजा हम कुम कुम चावल फूल मिठाई से करते है|
इसमे हमारे आस पास की सखी सहेलिया, भाभी, ननंद सभी एकत्रित होते है | उसके बाद संजा माता के गीत गाए जाते है | गीत गायन के बाद आरती की जाती है | आरती के पश्यात प्रशाद बाटा जाटा है | 16 दिन तक जों भी आकृति बनाई जाती है उसे अमावस्या के पहले नहीं निकाला जाता है |
16 श्राद्ध मे 16 दिन की संजा गोट
प्रथम दिन पूर्णिमा का होता है | इस दिन पूनम का पाटला बनता है | यह चूड़ी की डिजाइन का होता है |
दूसरा दिन एकम का होता है | इस दिन एक बनाया जाता है | यह गणित के 1 की तरह बनता है |
तीसरा दिन बीज का होता है | इस दिन बीजवारा बनता है | यह तराजू की डिजाइन का होता है |
चौथा दिन तीज का होता है इस दिन फूल बनता है | यह फूल 3 पंखड़ियों का होता है |
पाँचवा दिन चौथ का होता है इस दिन चाँद बनता है | यह चाँद आप पूरा या आधा कैसा भी बना सकते है |
छठा दिन पंचमी का होता है | इस दिन पाँच बच्चे बनाए जाते है |
सातवा दिन छठ का होता है | इस दिन भी फूल बनता है | यह फूल 6 पंखड़ियों का होता है |
आठवा दिन सप्तमी का होता है | इस दिन स्वस्तिक बनाया जाता है |
नौवा दिन अष्टमी का होता है | इस दिन 8 गुड्डे गुड्डीया बनाए जाते है |
दसवा दिन नवमी का होता है इस दिन 9 गुड्डे गुड्डीया बनाए जाते है | इस दिन 1 हि गुड्डीया बनाई जाती है अष्टमी के दिन के 8 गुड्डे गुड़िया मे 1 और बड़ा दिया जाता है |
ग्यारवाह दिन दसमी का होता है इस दिन 10 गुड्डे गुड्डीया बनाए जाते है | इस दिन भी 1 हि गुड़िया बनाई जाती है | नवमी के दिन की गुड्डीया मे 1 और बड़ा डी जाती है |
बहारवा दिन ग्यारस का होता है | ग्यारस के दिन से अमावस्या के दिन तक (सोलहवे दिन तक) पहले दिन से दसमी तक जों बनाया जाता है | उसी की पूजा होती है |
संजा के व्रत का समापन
आज कल बहुत कम घरों मे गोबर से संजा बनाई जाती है | गाव मे भी लोग बहुत कम बनाते है | उसकी जगह पर संजा माता का बना हुआ कागज का पन्ना मिलता है | सभी उसी को लगाकर पूरे 16 दिन पूजा करते है |संजा के व्रत का समापन अमावस्या के दिन होता है |
समापन के लिए 16 बर्तन लाने होते है | उन बर्तन मे प्लेट, कटोरी, ग्लास कुछ भी आप ला सकते है | उसके बाद उन बर्तनों की पूजा कुम कुम चावल से की जाती है | उसमे मिठाई भी राखी जाती है | आरती गाकर संजा माता को विदाई दि जाती है |
अगर आप गोबर से संजा बनाते है तो उस दिन उसे निकालकर उसका विसर्जन किया जाता है | और अगर आप संजा का बना बनाया पन्ना लगाते है तो उसका विसर्जन किया जाता है |
संजा के गीत
हमरे पास संजा के कुछ गीत है जों सोलह दिन तक रोज गाए जाते है | यह गीत हमारी मालवी भाषा मे है | यह गीत आपको ऑनलाइन काही नहीं मिलेंगे | क्योंकि यह गीत हमारे गाव के है | यह गीत वही गाए जाते है | यह मारवाड़ी और राजस्थानी दोनों भाषाओ को मिलकर गाए गए है | आप इन गीतों को ढोलक की थाप के साथ गाए | हमे पता है यह गीत आपको जरूर पसंद आएंगे |
संजा के और दूसरे गीत आप यूट्यूब पर सुन सकते है | वहा पर अलग अलग भाषाओ मे भी ये गीत उपलब्ध है |