कुमावत जाति का इतिहास History of kumawat’s

कुमावत जाती का इतिहास

कुमावत जाति का इतिहास History of kumawat’s:

कुमावत जाति का इतिहास मानव जीवन के अतीत का सर्वांगीण प्रतिबिंब होता है | अतीत से हि वर्तमान का जन्म होता है | बिना अतीत की जानकारी के हमारा आज कभी भी उज्जवल नहीं हो सकता है | अत:, मानव जीवन के आज को उन्नत, प्रगतिमय और समुन्नत बनाने का एकमात्र साधन इतिहास हि है |

History is an all-round reflection of the past of human life. The present is born from the past. Without knowledge of the past our today can never be bright. Therefore, history is the only means to make today’s human life advanced, progressive and progressive.

जातीय इतिहास हि जाति को जीवित रख सकता है | यही उसकी प्रतिष्ठा का प्रतीक और सद्गुणों को विकसित करता है, जिनके आधार पर जाति के अस्तित्व और उत्कर्ष का दारोमदार है | चिराग से हि चिराग जलता है | महापुरुषों के इतिहास और मिसालों से हि हमे उनका अनुकरण करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है |

Only caste history can keep the caste alive. This symbolizes its prestige and develops the virtues, on the basis of which the survival and progress of the caste depends. The lamp itself burns from the lamp. The history and examples of great men encourage us to emulate them.

What is our duty ? हमारा कर्तव्य क्या है ?

इतिहास हमे स्मरण कराता है की हमारा कर्तव्य क्या है ? सांसारिक समस्याओं मे उलझ कर जब हम हमारे जातिय विचारों और कर्तव्य को भूलने लगते है, तब हमे इतिहास के माध्यम से हमारे पूर्वजों की आवाज सुनाई पड़ती है-

‘खबरदार ! हमारी आन रखना, हमारा काम जारी रखना, सपूत बने रहना, व जइस प्रकार हमने जाति हेतु प्रयत्न किए है, तुम भी उसी प्रकार करते रहना, ऐसा न हो की हमारे प्रयत्न यूँ हि नष्ट हो जावें | इतिहास इस प्रकार से शंखनाद करता हुआ जाति को प्रतिपल जगाता है और सावधान करता रहता है |

History reminds us what is our duty? When we get entangled in worldly problems and start forgetting our caste ideas and duties, then we hear the voices of our ancestors through history –

‘Beware! Respect us, continue our work, remain a good son, and just as we have made efforts for the caste, you should also keep doing the same, lest our efforts get destroyed just like that. History keeps blowing its conch in this way, awakening and cautioning the caste every moment.

कुमावत जाति का इतिहास, Ethnic history:

जातिय इतिहास मंजिल की अंधेरी रात मे चौकीदार की तरह निगाह रखता है, और कहता है की जागते रहो, अपने माल पर निगाह रखना, रक्षा करना | जातिय इतिहास के कारण हि उच्चतम संस्कारों की प्रतिष्ठा होकर हमारा उत्कर्ष होता है | जातिय इतिहास हमे यह स्मरण करता है की हम वास्तव मे उन्ही महापुरुषों की संताने है | जों पहले ऐसा ऐसा करते थे, जिन्होंने अमुक – अमुक काम कर विश्व मे गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया था |

Ethnic history keeps an eye on the destination like a watchman in the dark night, and says to stay awake, keep an eye on your property, protect it. It is because of caste history that we rise due to the prestige of the highest values. Ethnic history reminds us that we are actually the children of those great men. Those who used to do this earlier, who had achieved a glorious place in the world by doing such and such work.

The history of caste जातिय इतिहास

श्री कार्लाइल, जैसे एक पाश्चात्य विद्वान, ने जातिय इतिहास के संबंध मे अपने शब्दों मे कहा है की -‘जिस देश मे जाति मे उसके पूर्व महापुरुषों की पूजा नहीं होती, वह देश या जाति अवश्य हि नष्ट हो जाती है | अर्थात् जिस देश या जाति का इतिहास नष्ट हो जाता है, वह देश या जाति अवश्य हि नष्ट हो जाती है |

Mr. Carlyle, a western scholar, has said in his own words regarding the history of caste that – ‘In a country where the great men of its past are not worshiped, that country or caste is definitely destroyed. That is, the history of the country or caste is destroyed, that country or caste is definitely destroyed.

अत:, यह स्पष्ट और निर्विवाद है की जातियों को जीवित रखने का कोई भी एक संसारव्यापी सिद्धांत पूर्व काल मे अवश्य रहा है, जिसके बलबूते पर तत्कालीन जाति के उन कर्णधारों ने जाति – संस्था को इतने उच्चतम शिखर पर पहुँचाया था |

Therefore, it is clear and undisputed that there must have been some worldwide principle to keep the castes alive in the past, on the basis of which those leaders of the then caste had taken the caste institution to such a high peak.

Community समुदाय-भावना :

प्रत्येक व्यक्ति यह जानता है की जाति या समाज किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं, अपितु वह तो व्यक्तियों का समुदाय है | अत: व्यक्ति का उत्थान हि समाज या जाति का उत्थान है | जब तक व्यक्तिगत जीवन प्रगति और उत्कर्ष की और अग्रसर नहीं होता, तब तक समाज के उत्कर्ष या उन्नति की आशा करना महज विडंबना मात्र है |

Every person knows that caste or society is not the name of any particular person, but it is a community of individuals. Therefore, the upliftment of an individual is the upliftment of the society or caste. Unless individual life moves towards progress and progress, it is merely an irony to expect progress or development of the society.

कुमावत जाति का इतिहास, Ancient texts:

प्राचीन ग्रंथों मे विदित होता है की हमारे पूर्वजों ने इसी विश्वास को मूल आधार मान कर इसी मंत्र या सिद्धांत द्वारा जाति संस्था की इतनी उन्नति की थी | उन्होंने समाज के प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने के साधनों को अति सुलभ के उनकी बुद्धि और विचार शक्ति को विकसित कर उन्हे इतिहास ज्ञान प्राप्त करने मे समर्थ बनाया था | और उसी बौद्धिक व ऐतिहासिक ज्ञान के बल पर अपने जातिय संगठन को दृढ़ कर अपने समाज को उन्नत एवं सुसंस्कृत किया था | किन्तु ऐतिहासिक कालक्रम के साथ अनेक परिवर्तन होते गए | कई ऐतिहासकारों ने ऐतिहासिक काल को निम्न तीन भागों मे बाँटा है |

It is known in the ancient texts that our ancestors had made so much progress in the caste system by considering this belief as the basic basis and this mantra or principle. He made the means of education very accessible to every person of the society by developing their intelligence and thinking power and making them capable of acquiring historical knowledge. And on the basis of the same intellectual and historical knowledge, by strengthening its caste organization, it had advanced and cultured its society. But many changes took place with the historical period. Many historians have divided the historical period into the following three parts.

  • प्राचीन युग (ancient era)
  • मध्य युग (Middle Ages)
  • अर्वाचीन युग (Arvanchinese era)

Ancient era प्राचीन युग :

इसका वर्णन बौद्ध, हिन्दू युग अथवा केवल बौद्ध – युग के नाम से भी किया गया है | यह युग नियमित इतिहास के प्रारंभ काल से प्रारंभ होकर तुर्कों द्वारा भारत विजय (ईसा की 12 वी शताब्दी) तक चलता है |

It has also been described as Buddhist, Hindu era or simply Buddhist era. This era starts from the beginning of regular history and continues till the conquest of India by the Turks (12th century AD).

मध्य युग Middle Age:

इसे मुस्लिम युग भी कहते है | यह प्राचीन युग की समाप्ति से प्रारंभ होकर अंग्रेजों की भारत विजय (ईसा की 18 वी शताब्दी के मध्यकाल) तक चलता है |

It is also called the Muslim era. It starts from the end of the ancient era and continues till the British conquest of India (middle of the 18th century AD).

Arvanchinese era अर्वाचीन युग :

इसे आंग्ल युग भी कहते है | अंग्रेजों की भारत विजय से प्रारंभ होता है, जों 20 वी शताब्दी के मध्य अंत होता है |

It is also called Anglo era. Starts with the British conquest of India, which ends in the middle of the 20th century.

अर्थात मध्य युग मे मुसलमानी शासकों द्वारा लगातार आक्रमण, अत्याचार एवम बर्बरता के कारण क्षत्रिय वंश का चहुँमुखी पतन हो गया | जिसके कारण वे धन, जन, बल, बुद्धि, विध्या आदि सभी क्षेत्रो मे अन्य समाजों की तुलना मे पिछड़ गए है |

That is, due to continuous attacks, atrocities and barbarity by Muslim rulers in the Middle Ages, there was all-round decline of the Kshatriya dynasty. Due to which they have lagged behind other societies in all areas like wealth, people, strength, intelligence, knowledge etc.

Conclusion निष्कर्ष :

आज स्तिथि यह है की हम अपना इतिहास (उत्पत्ति) भी बताने मे असमर्थ है | अत: पुन: हमारे पूर्वजों की गौरवपूर्ण वीरता, सुसंस्कृती के साथ जीवन – यापन करने, एवम अतीत के ज्ञान की जानकारी आदि की आवश्यकता की पूर्ति हेतु यह विचार आया है की क्यों न कुमावत जाति / समाज का एक इतिहास तैयार किया जाए, बिखरे हुए संदर्भों को सँजोया जाए ?

Today the situation is such that we are unable to even tell our history (origin). Therefore, again to fulfill the need of glorious bravery of our ancestors, living with good culture, and knowledge of past etc., this thought has come that why not prepare a history of Kumawat caste/society, scattered Should references be preserved?

गोत्र प्रवर क्या है ?

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