Story of Maharana Kumbha महाराणा कुंभा की कहानी

महाराणा कुंभा की कहानी

महाराणा कुंभा केवल मोकल (मुकुल) के पुत्र थे | इनकी माता का नाम सौभाग्य देवी था | राणा कुंभा संवत १४७५ सन् १४१९ ई. मे चित्तौड़ का राजा हुआ | राणा कुम्भा एक बड़ा वीर योद्धा एवं प्रतापी राजा था | ह सुंदर देहधारी था एवं शृंगार प्रिय होने से इसके विवाह के संबंध मे अनेक उल्लेख है की उसने कई राज कन्याओ को जबरदस्ती ब्याहा था | कुछ कन्याओ के पिताओ ने तो स्वेच्छा से हि डोला भेज दिया था |इस प्रकार रन कुंभा के कई रानियाँ थी |

Maharana Kumbha was the son of Keval Mokal (Mukul). His mother’s name was Saubhagya Devi. Rana Kumbha became the king of Chittor in Samvat 1475 (1419 AD). Rana Kumbha was a very brave warrior and a majestic king. He had a beautiful body and was fond of make-up, hence there are many references regarding his marriage that he married many princesses forcibly. Fathers of some girls even sent dolas (palms) voluntarily. Thus Rana Kumbha had many queens.

कुंभा के ११ पुत्रों का उल्लेख मिलता है, उनके नाम है :-

There is mention of 11 sons of Kumbha, their names are:-

  1. उदा   Udaa
  2. रायमल   Raimal
  3. नागराज   Naagraaj
  4. गोपाल   Gopal
  5. आसकरण   Aaskaran
  6. अमरसिंह   Amarsinh
  7. गोविंददास   Govinddas
  8. जैतसिंह   Jeitsinh
  9. महारावल  Maharawal
  10. खेता   Kheta
  11. अचलदास   Achaldas

महाराणा की एक पुत्री भी थी जिसका नाम रामबाई था | जिसका विवाह गिरनार के चूड़ासमा राजा मंडलीक के साथ हुआ था | जिस पर मोहब्बत बेगड़ा ने आक्रमण किया और वह हार गया व बाद मे हिन्दू धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया | अतएव रमाबाई लौटकर मेवाड़ आ गई | यहाँ जावर नामक ग्राम उसे जागीर मे दिया हुआ था | वहाँ उसने मंदिर बनवाया था, जिसकी प्रतिष्ठा वि. सं. १५५४ चैत्र शुक्ल २ को हुई थी | जावर की प्रशस्ति मे इसका उल्लेख किया हुआ है |

Maharana also had a daughter named Ramabai. She was married to the Chudasama Raja Mandalik of Girnar. Mohabbat Begada attacked her and he was defeated and later he renounced Hinduism and converted to Islam. So Ramabai returned to Mewar. Here she was given a village named Jawar as a jagir. She built a temple there, which was consecrated on Chaitra Shukla 2 in 1554. This is mentioned in the prashasti of Jawar.

महाराणा कुंभा का व्यक्तित्व:-

मेवाड़ मे सिसौदिया राजाओ मे सांगा को छोड़कर अन्य कोइ राजा कुंभा के समान इतना अधिक शक्तिशाली नहीं था | जिसे वर्षों तक मुस्लिम सुल्तानों के साथ बराबर युद्ध करने को बाध्य होना पड़े और उन्मे भी उसकी निरंतर विजय हो | उसकी सफलता का मुख्य कारण उसका विशिष्ट व्यक्तित्व हि था |

Personality of Maharana Kumbha :-

Among the Sisodia kings of Mewar, except Sanga, no other king was as powerful as Kumbha, who was forced to fight with Muslim sultans for years and was always victorious in them. The main reason for his success was his unique personality.

अप्रतिम साहसी :-

कुंभलगड़ प्रशस्ति मे उनको निर्भय और नि:शंक कहा गया है | नि:संदेह युद्ध मे वह निर्भय रहता था | मुकुल की मृत्यु के समय मेवाड़ की स्तिथि शोचनीय हो गई थी | इसके पश्चात राठौरों का प्रभाव बदने लगा था | दोनों हि सम्राटों का सफलता पूर्वक सामना करके कुंभा ने राज्य विस्तार का क्रम जारी रखा | उसके राज्य से कई गुना राज्यों के अधिपति दोनों और से सेनाए लेकर मेवाड़ के राज्य को सदा के लिए विजय कर विभाजित करने को आ रहे थे |

उत्तर मे नगोर एवं मारवाड़ के राठौरों का भी उस समय असहयोग छाल रहा था | अतएव ऐसी स्तिथि मे कुंभा ने राज्य को बनाए हि नहीं रखा, बल्कि दोनों हि सुल्तानों को हर दिया | मालवा का सुल्तान बहुत हि महत्वाकांशी था | उसके समय अगर मेवाड़ मे कमजोर शासक होता तो हाडौती एवं मेवाड़ को वह अवश्य हि विजय कर अपने राज्य मे मिल लेता |

Unparalleled courage :-

In Kumbhalgarh Prashasti, he has been described as fearless and fearless. Undoubtedly, he was fearless in war. At the time of Mukul’s death, the situation of Mewar had become pitiable. After this, the influence of Rathores started increasing. By successfully facing both the emperors, Kumbha continued the process of expansion of his kingdom. The rulers of many times bigger kingdoms from both sides were coming with armies to conquer and divide the kingdom of Mewar forever.

The Rathores of Nagaur and Marwar in the north were also not cooperating at that time. Therefore, in such a situation, Kumbha not only maintained the kingdom, but defeated both the sultans. The Sultan of Malwa was very ambitious. If there was a weak ruler in Mewar during his time, he would have definitely conquered Hadoti and Mewar and annexed them to his kingdom.

महाराणा कुंभा एक महान वीर :-

महाराणा कुंभा महान वीर था | उसने राज्य विस्तार के क्षेत्र मे अद्वितीय सफलता प्राप्त की | मेवाड़ की मुख्य भूमि के अतिरिक्त गोड़वाड, अजमेर, मन्दसौर, सपादलक्ष, पिड़वाड़ा, आबू, मंडोर, नागोर आदि का विस्तृत भू – भाग कुछ समय तक उसके राज्य मे रहा था | बूंदी मे हाड़ा, आमेर के कछवाहा, द्रोणपुर छापर के मोहिल रूप और जांगल के सांखला, सिरोही के देवड़ा, जेतारण के सिंघल, श्रीनगर के पँवार, सोजत और कायवाणे के राठौड़ आदि राजपूत सरदार उसकी चाकरी देते थे |

इस प्रकार मेवाड़ राज्य को बड़ाकर आबू से लेकर आमेर तक, पाली और मंडोर से लेकर नागरोण – रणथम्भोर एवं मंदौर तक का भू – भाग इनके राज्य मे कई वर्षों तक रहा | इतना विस्तृत भू – भाग इसके पूर्व मेवाड़ राज्य मे कभी भी सम्मिलित नहीं था |

Maharana Kumbha was a great warrior :-

Maharana Kumbha was a great warrior. He achieved unparalleled success in the field of expansion of the kingdom. Apart from the main land of Mewar, a vast area of ​​Godwad, Ajmer, Mandsaur, Sapadalaksha, Pidwara, Abu, Mandore, Nagore etc. remained in his kingdom for some time. Rajput chieftains like Hada of Bundi, Kachwaha of Amer, Mohil Roop of Dronpur Chhapar and Sankhla of Jangl, Devda of Sirohi, Singhal of Jetaran, Panwar of Srinagar, Rathore of Sojat and Kaywane etc. served him.

In this way, by expanding the Mewar kingdom, the area from Abu to Amer, Pali and Mandore to Nagron – Ranthambore and Mandore remained in his kingdom for many years. Such a vast area was never included in the Mewar kingdom before this.

महाराणा कुंभा की कुशल राजनीतिज्ञ :-

महाराणा कुंभा कुशल राजनीतिज्ञ भी था | कुंभलगड़ प्रशस्ति मे वर्णित है की वह साम दाम दंड और भेद काम मे लाता था | वह योद्धाओ को आवश्यकतानुसार बल से, दंड देकर, अथवा सामंतों को नवीन उर्वरा भूमि देकर प्रसन्न करता था | उसने विभिन्न राज्यों को अपने राज्य मे मिलाकर उन्हे केवल कर दाता बनाया था |

उसने सोजत, कायलाणा आदि भू – भाग स्थानीय राठोरों कको जागीर मे दिया था | इसी कारण गुजरात मे सुल्तान अहमदशाह ने मेवाड़ मे कोइ आक्रमण नहीं किया एवं कुतुबउद्दीन ने भी नगोर पर आक्रमण के पश्चात हि मेवाड़ पर आक्रमण किया था | महाराणा आवश्यकता होने पर पहाड़ों मे छिप कर अचानक आक्रमण किया करता था |

Maharana Kumbha’s Skillful Politician :-

Maharana Kumbha was also a skilled politician. It is mentioned in Kumbhalgad Prashasti that he used to use force, punishment and deception. He used to please the warriors by force, punishment or by giving new fertile land to the feudal lords. He merged various kingdoms in his kingdom and made them only taxpayers.

He gave Sojat, Kaylana etc. lands to the local Rathores as jagir. Due to this reason, Sultan Ahmed Shah of Gujarat did not attack Mewar and Qutubuddin also attacked Mewar only after attacking Nagaur. Maharana used to attack suddenly by hiding in the mountains whenever required.

महाराणा कुंभा एक प्रजा पालक :-

प्रजा के हित के लिए उसने कई सार्वजनिक निर्माण कार्य कराये थे | चित्तौड़ पर रथमार्ग या सड़क, कई तालाब, व बावड़िया बनवाई | चित्तौड़ के अतिरिक्त कुंबलगड़, आबू, पिंपवाड़ा, बसंतपुर मे इसी प्रकार के निर्माण कार्य करवाये | आबू से अचलगड़ के बीच मे एक सरोवर और चार जलाशय बनवाये | बसंतपुर मे सात जलाशय बनवाये, और एक बाग का निर्माण करवाया | अकाल के समय भी वह प्रजा की बड़ी सहायता करता था | कुंभलगड़ प्रशस्ति मे उसे प्रजा पालक कहा गया है |

Maharana Kumbha was a protector of his subjects :-

He got many public works done for the welfare of his subjects. He got a chariot road, many ponds and stepwells built in Chittor. Apart from Chittor, he got similar works done in Kumbhalgarh, Abu, Pimpwara and Basantpur. He got a lake and four reservoirs built between Abu and Achalgarh. He got seven reservoirs built in Basantpur and a garden constructed. He helped his subjects a lot even during famines. He has been called a protector of his subjects in the Kumbhalgarh prashasti.

महान साहित्यकार और आश्रयदाता :-

भवानी का उपासक महाराणा कुंभा सरस्वती का भी उपासक था | परमार राजाभोज और चौहान राजा वीसलदेव के पश्चात कुंभा भी संस्कृत का महान विद्वान था | वह स्वयं केवल विद्वान हि नहीं था, अपितु कई विद्वानों का आश्रयदाता भी था | उसने १६,००० श्लोकों मे संगीतराज नामक एक ग्रंथ, संगीत पर लिखाया था |

निरंतर युद्धों मे व्यस्त होते हुए भी उसकी सरस्वती की साधना उल्लेखनीय है | कीर्ति – स्तम्भ की प्रशस्ति एवं एकलिंगमाहात्म्य मे उसे वेद, स्मृति, मीमांसा, नाट्यशास्त्र, संगीत, राजनीतिशास्त्र, गणितशास्त्र, अष्टाध्यायी, उपनिषद, तर्कशास्त्र और साहित्य मे निपुण बतलाया गया है |

Great writer and patron :-

Maharana Kumbha, a worshipper of Bhavani, was also a worshipper of Saraswati. After Parmar King Bhoj and Chauhan King Visaldev, Kumbha was also a great scholar of Sanskrit. He was not only a scholar himself, but also a patron of many scholars. He wrote a treatise on music called Sangeetraj in 16,000 verses.

Despite being constantly busy in wars, his worship of Saraswati is noteworthy. In the praise of Kirti-Stambh and Eklingamahatmya, he has been described as proficient in Vedas, Smriti, Mimansa, Natyashastra, Music, Political Science, Mathematics, Ashtadhyayi, Upanishad, Logic and Literature.

महाराणा कुंभा महान निर्माता :-

महाराणा कुंभा महान निर्माता भी था | कुंभा के राज्य की यह विशेषता है की इतना अधिक निर्माण कार्य मेवाड़ के इतिहास मे काभी भी नही हुआ | इनमे चित्तौड़ मे कीर्ति – स्तम्भ, कुम्भस्वामी का मंदिर, वराह का मंदिर, शृंगारचंवरी , जैनकीर्ति – स्तम्भ के पास महावीरजी का मंदिर आदि है | मेवाड़ राज्य मे चौरासी दुर्ग थे, जिनमे ३२ दुर्ग राणा कुंभा के बनवाये हुए थे |

मूर्तिकला के क्षेत्र मे भी तब अद्भुत कार्य किया गया था | विष्णु की कई हाथ वाली अनंत, विश्वरूप, त्रैलोक्यमोहन, त्रिविकम आदि की मूर्तिया बणी हुई ज्ञात है | ये मूर्तिया आबू के कुम्भस्वामी के मंदिर, एवं चित्तौड़ के एकलिंगजी के मंदिर मे मिलती है | कीर्ति – स्तम्भ तो मानो हिन्दू पौराणिक देवी देवताओ की मूर्तियों का संग्रहालय हि है |

इस प्रकार कुंभा का शासनकाल वास्तुकला के क्षेत्र मे मेवाड़ का स्वर्ण युग कहा जाता है |

Maharana Kumbha was a great builder :-

Maharana Kumbha was also a great builder. It is a specialty of Kumbha’s kingdom that so much construction work was never done in the history of Mewar. These include Kirti Stambh in Chittor, Kumbhaswami Temple, Varaha Temple, Shringar Chanwari, Mahavirji Temple near Jain Kirti Stambh etc. There were 84 forts in Mewar kingdom, out of which 32 forts were built by Rana Kumbha.

Amazing work was also done in the field of sculpture. It is known that many-armed idols of Vishnu, Anant, Vishwaroop, Trailokyamohan, Trivikam etc. were made. These idols are found in Kumbhaswami Temple of Abu and Eklingji Temple of Chittor. Kirti Stambh is like a museum of idols of Hindu mythological gods and goddesses.

Thus, Kumbha’s reign is called the golden age of Mewar in the field of architecture.

महाराणा कुंभा की हत्या :-

महाराणा का ज्येष्ट पुत्र उदा राज्य लोलुपता के कारण राज्य प्राप्त करना चाहता था | जब महाराणा को उन्माद रोग हो गया, तब उसने महाराणा को मारने की योजना बनाई | एक दिन रात्रि के समय जब महाराणा कुंभलगड़ के भामादेव के मंदिर के समीप बैठा हुआ विचारमग्न था , उदा ने कटार से उसका काम तमाम कर दिया |

इस प्रकार राज्य लोभ के कारण पिता की हत्या कर दी | उदा ज्येष्ठ पुत्र होने का कारण राज्यधिकारी था, अतएव महाराणा के मरने के दिन से उसने राज्य प्राप्त कर लिया | लोगों के दिलों मे उदा के प्रति सम्मान नहि रहा था | लोग उससे घृणा करते थे | कुम्भा जैसे महान राणा का हत्यारा मेवाड़ मे बना रहे, ऐसा लोग नहीं चाहते थे | अतएव उदा को हटाकर भगाने का प्रयत्न किया जाने लगा |

Murder of Maharana Kumbha :-

Maharana’s eldest son Uda wanted to take over the kingdom due to his greed. When Maharana became insane, he planned to kill him. One night, when Maharana was sitting near the temple of Bhamadev in Kumbhalgarh, lost in thoughts, Uda killed him with a dagger.

Thus, due to greed for the kingdom, he killed his father. Being the eldest son, Uda was the state official, so he took over the kingdom from the day Maharana died. People had no respect for Uda in their hearts. People hated him. People did not want the killer of a great Rana like Kumbha to remain in Mewar. So, efforts were made to remove and drive Uda away.

महाराणा कुंभा की तरह और राजवंशों की जानकारी आपको यहां इससे पहले वाली पोस्ट मे मिल जाएगी |

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *