नमस्कार मित्रों, यह मेरा Self Introduction है:-

मेरा नाम शिवांगी एणिया है, मै एक गृहिणी (House Wife) हूँ | मै आज की नारी हूँ, एक नारी की कहानी उसके जन्म से हि शुरू हो जाती है | वह सबसे पहले एक बेटी की रूप मे जन्म लेती है, उस रिश्ते के साथ हि उसे बहुत से रिश्ते तोहफे मे मिलते है जैसी किसी की बहन, किसी की पोती, किसी की नाती, किसी की भांजी तो काही भतीजी.. ऐसे बहुत से रिश्ते उसके जन्म लेते हि उससे जुड़ जाते है | तो स्वाभाविक है की मुझे भी ऐसे हि यह सभी रिश्ते मिले है |

उसके बाद जब मेरा विवाह हुआ तब और रिश्ते मुझसे जुड़ गए | मेरी एक पहचान बन गई गृहिणी की | मै इन सभी रिश्तों से खुश हूँ, और सभी को सजा कर रखना चाहती हूँ | एक ग्रहिणी की अपनी कोई बाहरी पहचान नहीं होती है | पर दुनिया का सबसे मुश्किल काम तो यही की अपने घर को संभाल कर रखे | परिवार की खुशियों का खयाल रखे, अपने घर मे सभी को सही गलत की शिक्षा दे |

मेरे ब्लॉग्स

मेने अपने लिए थोड़ा सा समय निकालकर ब्लॉग लिखना शुरू किया है | ताकि मै अपने घर परिवार के साथ समाज को, देश को अच्छा बनाने मे अपना कुछ योगदान दे सकु | जैसा की आपने सुना होगा बूँद बूँद से हि घड़ा भरता है | उसी तरह छोटी चोटी कोशिशे एक दिन बड़ा रंग लाएगी |

ब्लॉग्स लिखने की कुछ वजह ये भी है | मै अपने आपको थोड़ा समय दूँ, अपनी सोच को दूसरों तक पहुंचाऊँ | हो सकता है, मेरी सलाह मेरे ब्लॉग से किसी को कुछ मदद मिल जाए | मै किसी के काम आ सकूँ, मुझे लिखना शुरू से हि पसंद है, पहले मे अपनी सोच को मेरी निजी पुस्तक लेखीका मे लिखती थी | उसे पड़कर मेरी सहेली ने मुझे सलाह दि की मुझे इसे सभी के साथ share करना चाहिए | तो यह मेरी ज़िंदगी की एक और शुरुआत है |

मेरे ब्लॉग्स लिखने के कुछ अन्य कारण 

  • ये जिंदगी हमे उस भगवान ने दि है, तो इसे खुल कर जिया जाए | भगवान आपको वो सभी खुशिया दे जों आप चाहते हो, उन खुशियों को हासिल करने मे मै आपकी जों भी मदद कर सकूँ वो जरूर करूंगी | इन ब्लॉग्स के जरिए आप कुछ अपनी बाते कहे, कुछ मेरी सुने |
  • इन ब्लॉग्स मे क्षत्रिय मेवाड़ा कुमावत समाज जों मेरी गोत्र (समाज) है, उनके बारे मे, उनकी उत्पत्ति के बारे मे भी कुछ लिखा गया है |
  • नारी जिसका आधे से ज्यादा जीवन रसोई मे हि निकल जाता है | रसोई से जुड़ी कुछ बाते, कुछ टिप्स जों आपके लिए सहायक हो, उन्हे आपके साथ साझा कर उसमे आपकी मदद सकूँ |
  • नारी पर होने वाले अत्याचार, उन अत्याचार को सहने वाली नारियों को अपने लिए आवाज कैसे उठाना है | क्यों उन अत्याचारों को सहना है, क्यों एक नारी अपना जीवन खुद के लिए नहीं जी सकती | कुछ ब्लॉग आपके लिए इसमे भी सहायक होंगे |
  • कहीं नारी पर उत्पीड़न होते है, तो कहीं कुछ स्त्रिया इसका गलत उपयोग भी करती है, उनसे कैसे बचा जाए | कैसे उन्हे गलत करने से रोका जाए, उसकी कुछ जानकारी भी आपको यहाँ मिलेगी |
  • कहीं बहुत से मनुष्य अंधविश्वास का शिकार होते है, उस अंधविश्वास से कैसे बचा जाए| कैसे उससे दूसरों को बचाया जाए, अगर मेरे ब्लॉग्स से कुछ हि अगर अंधविश्वास के जाल से बच सके, तो यह मेरे लिए एक बहुत गर्व की बात होगी |
  •  महेंदी, रंगोली, कलाकृति, इन सभी के कुछ नये डिजाइन आपके साथ share कर सकूँ |
  • जैसा मेने आपको शुरुआत मे बताया था, मुझे लिखना बहुत पसंद है | निजी ज़िंदगी पर माना अपनी किताब मे बहुत कुछ लिखा है बस उसी मे से कुछ चुंदीदा किससे, कहानिया आपके साथ share करना चाहती हूँ | उम्मीद करती हूँ आपको मेरे सभी ब्लॉग्स पसंद आएंगे, और आप सभी मिलकर मुझे एक अच्छा ब्लॉगर बनाएंगे |

Self Introduction:- मेरे विषय मे (About my self)

नाम                  :  शिवांगी एणिया

जन्म तिथि         :  26/07/1994

जन्म स्थान        :  मंदसौर

मेरा पता           :  सुखलिया, इंदौर (मध्य प्रदेश)

शिक्षा               :  MCA (Master’s in Computer Application)

बच्चे                :  एक

ईमेल पता       :  shivangianiya@gmail.com

मेरे जीवन का संकल्प 

मेरे जीवन का संकल्प यह है की आने वाली पीड़ी जों है वह धर्म से, अपनों से, रिश्तों से दूर भागती रहती है | यह सभी अपना जीवन अकेले जीना चाहते है अपनी मर्जी से, मै उन सब को यह बटन चाहती हू की अपनों का साथ जों खुशिया देता है वह और कोइ नहीं दे सकता | धार्मिक गीतों की जानकारी, मै अपनी खुशिया उनके साथ उनके परिवार का हिस्सा बनकर उनके साथ बाटना चाहती हूँ | उनकी तकलीफों को काम करना चाहती हूँ|

यह जिंदगी बहुत छोटी है कब क्या हो जाए किसे पता ? इसलिए इसे खुलकर जीना चाहती हूँ, और सबको सिखाना चाहती हूँ की अपनी खुशियों के साथ साथ दूसरों की खुशियों का भी खयाल रखा जाए | जैसा श्री कृष्ण भगवान ने कहा है कर्म करो फल की इच्छा मत रखो | मै भी अपना कर्म कर रही हूँ | बस सबको उनके हिस्से की खुशिया मिले ज़िंदगी मे तकलीफ़े कम हो, और सभी खुश रहे |

धन्यवाद |