शक्ति पूजा Shakti Puja :
संसार मे शक्ति पूजा कब से प्रचलित हुई, इसका ठीक – ठीक ज्ञान न होने पर भी अनुमान से यह तो कहा ही जा सकता है | की जब से मानव जाती ने होश संभाल तभी इसका श्रीगणेश हो गया होगा | वास्तव मे शक्ति पूजा मनुष्य के नितांत स्वाभाविक है | वह संसार के सभी देशो मे रही है, अत: सार्वभौमिक है | प्रत्येक जाती अपना विकास और उन्नति चाहती है, उसकी प्राप्ति का उपाय शक्ति पूजा हि है |
Even if there is no exact knowledge of when Shakti Puja became prevalent in the world, it can still be said with estimates. That it must have started from the time the human race regained consciousness. In fact Shakti worship is absolutely natural for humans. It has been in all the countries of the world, hence it is universal. Every caste wants its own development and progress, the solution to achieve it is Shakti Puja.
शक्ति को हम भिन्न – भिन्न रूपों मे देखते है, भले हि वह भेदभाव की दृष्टि हमारी अल्पज्ञता की सूचक हो और हाँ विचार करने पर मालूम भी होता है | की अपने भिन्न – भिन्न रूपों मे मूल शक्ति एक हि वस्तु है, सब मे एक है और एक मे सब है |
एकैव सा महाशक्ति: तथा सर्वमिंद ततम् |
We see power in different forms, even if that discriminatory view is an indicator of our ignorance and yes, it becomes apparent after thinking about it. That the basic power in its different forms is the same thing, is one in all and is all in one.
शक्ति और उनके नाम Shakti and it’s different names:
एक हि महाशक्ति भिन्न – भिन्न नामों एवं रूपों मे प्रकट होकर भिन्न – भिन्न कार्यों का सम्पादन करती है | एक और रचनात्मक कार्य करती है तो दूसरी ओर विध्वंसात्मक कार्यों के द्वारा सृष्टि को व्यवस्तिथ तथा नियंत्रित करती है | एक और वह विश्व प्रसूता के रूप मे माता कहलाती है तो दूसरी ओर जगत – रक्षक तथा पालक के रूप मे जगत पिता भी कहलाती है | वही अचिंत्य विराट शक्ति एक ओर भगवान और दूसरी ओर भगवती के नाम से विख्यात है | ईश्वर – ईश्वरीय, महेश्वर – महेश्वरीय, ब्रह्मशक्ति सब कुछ वही है |
The same superpower appears in different names and forms and performs different tasks. On the one hand it does creative work and on the other hand it organizes and controls the creation through destructive works. On the one hand, she is called Mother in the form of the world’s mother and on the other hand, she is called the World Father in the form of world protector and nurturer. The same unimaginable vast power is known as God on one hand and Bhagwati on the other. Ishwar – Godly, Maheshwar – Maheshwariya, Brahmashakti, everything is the same.
शक्ति शब्द की व्याख्या :
‘शालकृशक्तों’ धातु मे ‘क्तिम्’ प्रत्यय करने पर ‘शक्ति’ शब्द सिद्ध होता है | कारण वस्तु मे जों कार्योंत्पादनपयोगी अपृथक सिद्धधर्म विशेष है, उसी को ‘शक्ति’ कहते है |
शक्ति हि जीवन है, शक्ति हि धर्म है, सकती हि गति है, शक्ति हि आश्रय है, शक्ति हि सर्वस्व है |
Explanation of the word Shakti:
By suffixing ‘Ktim’ in the root ‘Shalakrishakton’, the word ‘Shakti’ is proved. Due to this, the special, separate Siddhadharma which is useful in producing work is called ‘Shakti’.
Power is life, power is religion, power is movement, power is shelter, power is everything.
शक्ति का तात्विक स्वरूप The elemental nature of Shakti:
जिस तरह अग्नि और ऊष्णता मे भेद नहीं है, उसी तरह ब्रह्म और शक्ति मे भेद नहीं है | शक्ति का आधार ब्रह्म है और ब्रह्म का अस्तित्व शक्ति मे से है |
Just as there is no difference between fire and heat, in the same way there is no difference between Brahma and Shakti. The basis of Shakti is Brahma and the existence of Brahma is from Shakti.
ब्रह्म मे सत, चित्त, आनंद, आदि जों अनंत गुण है, उनका सतपना, चित्तपना, आनंदपना आदि और उनका ब्रह्म से संबंध शक्ति से हि है, अत: सकती सर्वगुणों का गुण है | ब्रह्म का ब्रह्मत्व ब्रह्म की शक्ति है | जड़ का जड़त्व जड़ की शक्ति है | सत का सतपना सत की शक्ति है |
Brahma has infinite qualities like Sat, Chitta, Anand, etc., their Satpana, Chittapan, Anandpaan etc. and their relation with Brahma is only through Shakti, hence Sakti is the quality of all Gunas. Brahmatva of Brahma is the power of Brahma. The inertia of matter is the power of matter. The truth of truth is the power of truth.
विश्व मे जीतने भी जड़ चेतन पदार्थ है, वे अपनी – अपनी शक्ति से हि अपने – अपने अस्तित्व को रखते है | अत: शक्ति विश्वमय और विश्वाधार है |
The living beings in the world are also inanimate objects, they maintain their existence by their own power. Therefore, Shakti is universal and the basis of the world.
शक्ति से हि पत्ता हिलता है | शक्ति से हि देहधारियों की दैहिक क्रियाए होती रहती है | शक्ति से हि सर्व पदार्थ अपने अपने गुणों के अनुसार वर्तना करते है | शक्ति से हि प्रलय होता है | जीवन और मृत्यु दोनों शक्ति के परिणाम है |
The leaf moves only due to power. It is due to Shakti that the bodily functions of the embodied beings continue to take place. Through Shakti, all things interact according to their respective qualities. Destruction is caused by power. Both life and death are the results of Shakti.
शक्ति के रूप forms of Shakti :
शक्ति के दो रूप है – वैभाविक और स्वाभाविक | पहले रूप मे यह महामाया है, भयंकर और मोहित करने वाली है | दूसरा रूप स्वाधीन, पूर्ण व्यक्त और शुद्ध स्वरूप है |
There are two forms of Shakti – natural and natural. In its first form it is the illusion, it is terrifying and captivating. The second form is independent, fully expressed and pure form.
हरी, हर, ब्रह्मा – पालन, संहार और सर्जन – अर्थात स्थिरता और परिवर्तन ये रूप उसी अनादि, अन्नत और सर्वव्यापक आद्यशक्ति के है | ये रूप एक दूसरे से भिन्न दिखाई देते हुए भी अभिन्न है और सदा साथ – साथ रहने वाले है | यही विश्व का अस्तित्व है – सत है | जों सर्व पदार्थों के इन नित्यधर्मों को समझ लेता है, वह सुख और दुख से परे हो जाता है | केवल ब्रह्म शक्ति हि सर्वज्ञाता और उपभोक्ता है | यही सर्वश्रेष्ठ शक्ति है |
Hari, Har, Brahma – nurture, destruction and creation – i.e. stability and change, these forms are of the same eternal, eternal and omnipresent primal power. These forms, despite appearing different from each other, are inseparable and will always remain together. This is the existence of the world – it is true. One who understands these daily principles of all things becomes beyond happiness and sorrow. Only Brahma Shakti is omniscient and consumer. This is the best power.
शक्ति पूजा क्यों की जाती है Why Worship of Shakti is often :
शक्ति की उपासना प्राय: सिद्धियों की प्राप्ति के लिए हि की जाति है | तंत्रशास्त्र का मुख्य उद्देश्य सीधी लाभ हि है | आसुरी प्रकृति के पुरुष उसे मद्य, मांस आदि से पूजते है, जिससे उन्हे मारण उच्चाटन आदि आसुरी सिद्धिया प्राप्त होती है तथा देवी प्रकृति के पुरुष गंध, पुष्प आदि सात्विक पदार्थों से उसकी पूजा – अर्चना करते है | जिससे वे नाना प्रकार की दिव्य शक्तिया प्राप्त करते है |
Worship of Shakti is often done to attain siddhis (accomplishments). The main objective of Tantrashastra is direct profit. Men of demonic nature worship her with liquor, meat etc., due to which they attain demonic achievements like killing, exaltation etc. and men of goddess nature worship her with sattvik substances like scent, flowers etc. Due to which they acquire various types of divine powers.
शक्ति का अभिप्राय है, पारमेश्वरी शक्ति – चिच्छक्ति से | इस चिच्छक्ति के तीन रूप है – महाकाली, महासरस्वती और महालक्ष्मी | जब महाकाली क्षत्रियों मे, महासरस्वती ब्राह्मणों मे, महालक्ष्मी वैश्यों मे, शक्ति का संचार करती है तब तीनों वर्ण शक्ति सम्पन्न होकर राष्ट्र का सर्वागीण विकास करते है |
Shakti means supreme power – Chichchakti. This Chichhakti has three forms – Mahakali, Mahasaraswati and Mahalakshmi. When Mahakali infuses power among the Kshatriyas, Mahasaraswati among the Brahmins and Mahalakshmi among the Vaishyas, then all three varnas become empowered and lead to overall development of the nation.
शक्ति पूजा का प्रचलन क्यों हुआ why Shakti Puja became popular :
सूर्यवंशी क्षत्रिय राजाओ का मुख्य ध्येय ‘धर्म – संस्थापना’ हि था | राष्ट्र के अंग अंग मे शक्ति का संचार हुए बिना राष्ट्र का उदय नहीं हो सकता और शक्ति और युक्ति – ये दोनों जहाँ एक होती है वही भगवान का अस्तित्व होता है | इसलिए शक्ति पूजा का प्रचलन हुआ |
The main aim of Suryavanshi Kshatriya kings was ‘establishment of religion’. A nation cannot rise without the transmission of power to every part of the nation, and where power and wisdom are one, God exists. That’s why Shakti Puja became popular.
क्षत्रियों की कुल देवीयों के नाम
संख्या | देवीयों के नाम |
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1 | बाणमाता |
2 | जमवाय माता |
3 | पंखनी माता |
4 | कालिका माता |
5 | दुर्गा माता |
6 | चामुंडा माता |
7 | दधिमधी देवी |
8 | महालक्ष्मी देवी |
9 | योगेश्वरी माता |
10 | अन्नपूर्णा माता |
11 | विंध्यवासिनी माता |
12 | शारदा देवी |
13 | आशापूरी माता |
14 | सीचीयान माता |
15 | प्रबावती माता |
16 | हिंगलाज देवी |
17 | भवानी माता |
18 | जीनमाता |
19 | बेलासनी माता |
20 | पिपलासनी माता |
21 | अम्बा माता |
22 | गंगाजून माता |
23 | लेकोड माता |
24 | बिजासन माता |
25 | रणवाय माता |
26 | नोसोर माता |
27 | बोराय माता |
28 | सकराय माता |
29 | कुसुंबी माता |
30 | साकम्बरी माता |
31 | नगरकोट भवानी माता |
32 | कटारी माता |
33 | बिछदर माता |
34 | ब्राह्मणी माता |
35 | चतुसंशिंगीं माता |
36 | कोमासन माता |
37 | रेणुका माता |
38 | चण्डिका माता |
निष्कर्ष Conclusion:
हमारा क्षत्रिय कुमावत समाज भी राजघरानों से सबंधित होने से उसी परंपरा का पालन करता है | परंपरा एक संस्कृति को निभाते हुए आज भी क्षत्रिय कुमावत समाज द्वारा मालवा क्षेत्र मे, समाज एवं कुल (परिवार) की सुख समृद्धि के लिए मांगलिक कार्यों मे (जैसे शादी विवाह, मुंडन संस्कार के उपलक्ष मे) तथा अन्य मांगलिक कार्यक्रम के अवसर पर कुल – देवी का पूजन (शक्ति पूजन) किया जाता है | जिससे विशिष्ट महिलाओ द्वारा रात भर (रातीजगा) के रूप मे स्तुति के मंगल गीत गाए जाते है |
Our Kshatriya Kumawat community also follows the same tradition as it is related to the royal families. Following the tradition and culture, even today, Kshatriya Kumawat community in Malwa region, in auspicious functions for the happiness and prosperity of the society and clan (family) (such as on the occasion of marriage ceremony, Mundan Sanskar) and on the occasion of other auspicious programs, the clan – Goddess is worshiped (Shakti Puja). Due to which auspicious songs of praise are sung by distinguished women throughout the night (Raatijaga).
कुमावत समाज मे एक विशिष्टता यह भी है की सामान्य तौर पर यहाँ वर्ष मे पाँच बार शक्ति पूजन किया जाना अनिवार्य है | वे है दीपावली, रक्षाबंधन, होली, कंवार महीने की नवरात्रि तथा चैत्रमाह की नवरात्रि |
One speciality of the Kumawat community is that generally it is mandatory to perform Shakti Puja five times a year. They are Diwali, Rakshabandhan, Holi, Navratri of Kanwar month and Navratri of Chaitra month.